“संसद, विधि द्वारा, ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी।”
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 2 के अनुसार, संसद को संघ में नए राज्यों के प्रवेश या उनकी स्थापना का अधिकार प्राप्त है। यह प्रक्रिया संसद द्वारा निर्धारित निबंधनों और शर्तों के तहत की जाती है, जिसे वह उचित समझती है। इस अनुच्छेद के अंतर्गत संसद के पास यह शक्ति होती है कि वह विधि द्वारा नए राज्य स्थापित कर सके या किसी बाहरी राज्य को संघ में शामिल कर सके।
इसका मतलब है कि यदि किसी नए क्षेत्र को भारत में शामिल करना है या किसी क्षेत्र को एक नया राज्य बनाना है, तो संसद इसके लिए आवश्यक विधि बना सकती है और इस प्रक्रिया के लिए उपयुक्त नियम और शर्तें निर्धारित कर सकती है।
संक्षेप में:
- प्रवेश या स्थापना: संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना।
- संसद का अधिकार: संसद द्वारा विधि द्वारा किया जाएगा।
- निबंधन और शर्तें: संसद द्वारा निर्धारित।
इतिहास:
भारतीय संविधान सभा द्वारा इस अनुच्छेद को संविधान में शामिल करने का मुख्य उद्देश्य भारतीय संघ को समय के साथ बदलते राजनीतिक और भौगोलिक जरूरतों के अनुसार संशोधित करने की क्षमता प्रदान करना था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारत में विभिन्न रियासतें और क्षेत्रीय इकाइयाँ थीं, जिन्हें भारतीय संघ में समाहित करना आवश्यक था। यह अनुच्छेद संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह नए राज्यों का गठन कर सके और आवश्यकतानुसार बाहरी क्षेत्रों को भारत में शामिल कर सके।
उद्देश्य:
अनुच्छेद 2 का मुख्य उद्देश्य संघ की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना और संघीय संरचना को समय के साथ आवश्यकतानुसार संशोधित करना है। इसका लक्ष्य है:
- भौगोलिक अखंडता: भारत के क्षेत्रों को एकीकृत करना।
- राजनीतिक स्थिरता: क्षेत्रीय इकाइयों के पुनर्गठन के माध्यम से राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करना।
- प्रशासनिक सुविधा: प्रांतों और राज्यों का पुनर्गठन करना ताकि प्रशासनिक दक्षता बढ़ सके।
क्रियान्वयन:
संविधान के अनुच्छेद 2 के अंतर्गत संसद को नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना का अधिकार प्राप्त है। इसके तहत संसद ने कई बार नए राज्यों का गठन और बाहरी क्षेत्रों को भारतीय संघ में समाहित करने के लिए कानून बनाए हैं। उदाहरण के लिए:
- सिक्किम का प्रवेश (1975): सिक्किम को 1975 में भारतीय संघ का हिस्सा बनाया गया था। सिक्किम के भारत में प्रवेश के लिए संविधान संशोधन किया गया और उसे 22वाँ राज्य घोषित किया गया।
- गोवा का प्रवेश (1987): गोवा, दमन और दीव को 1987 में भारतीय संघ का 25वाँ राज्य बनाया गया। इससे पहले ये क्षेत्र केंद्र शासित प्रदेश थे।
- तेलंगाना का गठन (2014): 2014 में, आंध्र प्रदेश से तेलंगाना राज्य का गठन किया गया, जो भारत का 29वाँ राज्य बना।
संबंधित अनुच्छेद:
- अनुच्छेद 3: यह अनुच्छेद संसद को राज्यों के क्षेत्र, सीमा और नाम में परिवर्तन करने की शक्ति देता है।
- अनुच्छेद 1: इसमें भारतीय संघ के नाम और उसकी क्षेत्रीय अखंडता का वर्णन है।
निष्कर्ष:
अनुच्छेद 2 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो संसद को संघ में नए राज्यों के प्रवेश या उनकी स्थापना का अधिकार देता है। इसका उद्देश्य संघीय ढांचे को मजबूत बनाना और भारत की भौगोलिक और राजनीतिक स्थिरता को सुनिश्चित करना है। यह प्रावधान समय के साथ बदलते हुए जरूरतों के अनुसार भारतीय संघ की क्षेत्रीय संरचना को समायोजित करने की क्षमता प्रदान करता है।